तुम आए तो....
तुम आए तो....
दु:ख की बदली थी छाई हुई
जग अंधियारा था मेरा
तुम एक किरण बनकर आए
खुशियों का हुआ सवेरा
तुम चमके जब मन के नभ पर
आशा का बनकर सूरज
अश्रुजल अब चले गए
मेरे नयनों का घर तज
मेरे सूने मन का पंछी
बैठा अब पंख पसार
उज्ज्वल सुन्दर नीलगगन में
उड़ने को तैयार
तुमने मुझको दिया है जो
नवजीवन का उपहार
कैसे मैं लौटा पाऊँगी
यह सुन्दर उपकार
नारी होने का मुझको जो
आज मिला सम्मान
अर्पित हैं तुम पर अब मेरे
तन मन और यह प्राण
