STORYMIRROR

usha yadav

Romance Others

3  

usha yadav

Romance Others

टूट कर फिर बिखरना चाहती हूं

टूट कर फिर बिखरना चाहती हूं

1 min
266


टूट कर बिखरना चाहती हूं

तेरी मोहब्बत में फिर से सँवरना चाहती हूँ

तेरे हर लम्हों की अल्फ़ाज़ बनकर

मैं खुद को तुझ में फ़ना करना चाहती हूँ


तू कुछ इस तरह से मुझे

अपना बना ले कि तेरी ही

धड़कन बन कर मैं इस दिल में

फिर से धड़कना चाहती हूँ।

टूट कर फिर बिखरना चाहती हूं


कर तू मुझे इतनी मोहब्बत की

मेरी चाहत का अंजाम आखिरी

बन मैं इस दुनिया से इस तरह 

से विदा होना चाहती हूँ।


छुपा ले तू मुझे अपनी आँखों में

कि तेरे ख़्वाबों का गहरा राज

बनकर में तेरे हृदय में ही रहना 

 चाहती हूं

टूट कर फिर बिखरना चाहती हूं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance