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Rajeev Tripathi

Romance Tragedy

4.5  

Rajeev Tripathi

Romance Tragedy

तरजीह

तरजीह

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प्यार में शिकायत की मियाद निकल ही गई

कुछ अधूरी ख़्वाहिश बनकर बात बिगड़ ही गई

आपने ग़ैरों को तरजीह दी

प्यार की सारी क़स्में तो बिखर ही गई


मोहब्बत भी गुनाह सी लगने लगी

हमने ख़ता ही कुछ ऐसी कर दी

मेरी ज़िन्दगी में ना आते तो अच्छा होता

आपने आकर के तो बड़ी मुश्किल कर दी

किस तरह निभाएंगे ज़िन्दगी को आगे हम


कुछ कहा नहीं आपने पर हामी भर दी

बे- गैरत हो गई हमारी तक़दीर 

मेरे दुश्मनों ने यह मुनादी कर दी 

सुना है मेरे हालात और बिगड़ने वाले हैं

आपने मोहब्बत में इंतहा कर दी


ठहरे हुए पानी में पत्थर मार सकते थे

तुम्हारे अक्स ने लेकिन मनाही कर दी

तरजीह ग़ैर लोगों को देकर  

आपने तो हद ही कर दी।


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