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अनजान रसिक

Drama Romance Tragedy

4.5  

अनजान रसिक

Drama Romance Tragedy

तलाश

तलाश

2 mins
341


एक दिन तुम्हें प्यार की ज़रूरत होगी ही नहीं

एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम्हें दुनिया भर को

थामे रखने की ज़िम्मेदारी से मुक्ति मिल जायेगी।

सूरज को, रात के घने अँधेरे को,उस पल को,

जब तुम ताल की आवाज़ पर जाग जाते हो।


दरवाज़ा खोलने उठते हो पर वहां कोई नहीं होता,

क्योंकि खटखटाने की आवाज़ तो तुम्हारी अंतरात्मा से ही

आ रही है जो कभी ना रूकती है।

उसका ऐसे इंतज़ार किया जैसे बारिश का इंतज़ार मोर करता है

तुमने उसके बारे में कविताएँ लिखीं,

तुम आज भी उसके बारे में लिखते हुए ना थकती हो

और तुम्हारी आखों की उदासी बयान करती है

कि तुम्हारी तलाश आज भी जारी है।


एक दिन तुम्हें प्यार की ज़रूरत होगी ही नहीं

एक दिन ऐसा भीतलाश

एक दिन तुम्हें प्यार की ज़रूरत होगी ही नहीं

एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम्हें दुनिया भर को

थामे रखने की ज़िम्मेदारी से मुक्ति मिल जायेगी


सूरज को, रात के घने अँधेरे को,उस पल को

जब तुम ताल की आवाज़ पर जाग जाते हो

दरवाज़ा खोलने उठते हो पर वहां कोई नहीं होता

क्योंकि खटखटाने की आवाज़ तो तुम्हारी अंतरात्मा से ही आ रही है

जो कभी ना रूकती है

उसका ऐसे इंतज़ार किया जैसे बारिश का इंतज़ार मोर करता है

तुमने उसके बारे में कविताएँ लिखीं

तुम आज भी उसके बारे में लिखते हुए ना थकती हो


और तुम्हारी आखों की उदासी बयान करती है की तुम्हारी तलाश आज भी जारी है।

 आएगा जब तुम्हें दुनिया भर को थामे रखने की ज़िम्मेदारी से मुक्ति मिल जायेगी

सूरज को, रात के घने अँधेरे को,उस पल को जब तुम ताल की आवाज़ पर जाग जाते हो

दरवाज़ा खोलने उठते हो पर वहां कोई नहीं होता

क्योंकि खटखटाने की आवाज़ तो तुम्हारी अंतरात्मा से ही आ रही है

जो कभी ना रूकती है

उसका ऐसे इंतज़ार किया जैसे बारिश का इंतज़ार मोर करता है

तुमने उसके बारे में कविताएँ लिखीं

तुम आज भी उसके बारे में लिखते हुए ना थकती हो

और तुम्हारी आखों की उदासी बयान करती है की तुम्हारी तलाश आज भी जारी है।


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