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Devesh Dixit

Classics Inspirational

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Devesh Dixit

Classics Inspirational

तीन रंग की ओढ़ चुनरिया सज धज

तीन रंग की ओढ़ चुनरिया सज धज

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तीन रंग की ओढ़ चुनरिया सज धज के इतराए,

बीच में धारण कर चक्र को देखो कैसे लहराए।


फर फर फर कर देखो तिरंगा अपना ये लहराए,

लहरा लहरा कर कैसे गाथा अपनी तो ये गाए।


केसरी सफेद हरा मिलकर कैसे ये इठलाए,

शान है ऊंची इसकी देखो कैसे ये बलखाए।


मुझको दो सम्मान यही तो ये हमें समझाए,

भारत मां का ताज हूं मैं यही हमें बतलाए।


जब जब आता खतरा मुझ पर मुझको बचाने आए,

कई दुश्मनों को ढेर किया तो कितनों से गोली खाए।


भारत मां की लाज़ बचाने को कितने मुझमें समाए,

मैं भी तो उनसे लिपटा आया दर्द को दिल में दबाए।


उनके परिजन को रोता देख पीड़ा सही न जाए,

छाती पीट पीट रोती माता कलेजा मुंह को आए।


बिलख बिलख कर रोती बहना कह कुछ भी न पाए,

देख मुझको शीश जुकाए और भाई से लिपट जाए।


गरिमा मेरी कम न होती कितने भी संकट आए,

मैं लहराऊं ऐसे ही जैसे पतंग फर फर बलखाए।


तीन रंग की ओढ़ चुनरिया सज धज के इतराए,

बीच में धारण कर चक्र को देखो कैसे लहराए।


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