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Arpan Kumar

Comedy Abstract Others

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Arpan Kumar

Comedy Abstract Others

थोड़ा नहीं है

थोड़ा नहीं है

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किसी को थोड़ा जानना

किसी से थोड़ा बतियाना

थोड़ा नहीं है

ओस-स्नात दूब पर जैसे

तड़के सुबह

नंगे पाँव चलते

नन्हें सूरज की ओर

थोड़ा लपकना

थोड़ा नहीं है

चेहरे पर

दिवस भर की लाली

एकबारगी

मल लेने के लिए

 

किसी को थोड़ा चाहना

किसी से थोड़ा पाना

थोड़ा नहीं है

एक छतरी में साथ चलते

जैसे थोड़ा बचना

थोड़ा भींगना

थोड़ा नहीं है

इतिहास के अधगीले

उस खंड को

अपना बना लेने के लिए

 

किसी को थोड़ा अशांत करना किसी से थोड़े ताने सुनना

थोड़ा नहीं है

अंधेरे की अतल गहराई में

जल की शांत तरंगों बीच

दो सीपों का जैसे

थोड़ा जागना, थोड़ा सोना

थोड़ा नहीं है

ज्वार उठा देने के लिए

अपनी साँसों से

समंदर में जब कभी

 

हो सके प्रस्फुटित

लावा में मक्का

उछालभरी ध्वनि समेत

थोड़ी नहीं है

मुट्ठी भर रेत

इस चटख कायांतरण के लिए जैसे किसी को थोड़ा बनाना किसी से थोड़ा बनना

थोड़ा नहीं है 


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