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Yogesh Kanava Litkan2020

Abstract Romance Others

4.5  

Yogesh Kanava Litkan2020

Abstract Romance Others

तेरे बिन

तेरे बिन

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रात बैरन

दिन‌ बंजारा सा

सांझ की‌ बेला

पानी अंगारा सा

भीगूं कैसे अब

मैं तेरे बिन‌

फिरूं मैं पीर भरी


अंखियां सपन भरी

निहारूं पंथ गरी

मिलन‌ की‌ आस‌ में

चली मैं पनघट

लिए अपने हाथ चरी

अब तेरे बिन

फिरूं मैं पीर भरी


चुभे मुस्कान कमोदनी

अमलतास भी पीला पड़ा

दहकने लगे पलाश भी

हिये अगन दहकती

अधरों पर प्रेम प्यास सी

बैरन‌ चांदनी लगे अरि

अब तेरे बिन

फिरूं मैं पीर भरी



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