सवाल है तो बता दूँ ....
सवाल है तो बता दूँ ....
सवाल है तो बता दूँ
हूँ कबसे यही सवाल करती मैं भी
कहाँ है मेरा अश्क भी जला दिया है
और पूछते है की क्या समानता है भी
जहां जाऊँ वहाँ तेरी सोच से ही जियूं
जहां भी हो मेरा नाम तेरे नाम के बगैर कुछ नहीं
और पूछते है की क्या समानता है भी ..
स्त्री और पुरुष, एक ही सिक्के के दो पहलू
फिर भी ये कैसी फारकत है दुनिया तेरी
समझ जाऊँ भी तो एक दिक्कत है
क्या स्त्री को दिया सम्मान तूने ..
कभी भी किया है उसके नजरिये से
उसका विचार तूने
जो भी लिखा तेरा नजरिया था
जो भी हो रहा है तेरे मन का वहम है ..
गर स्त्री को पूरी तरह समझ गया कोई
तो वो वो है जहां तेरी हैसियत की वजह है..
जहां तेरे होने की एक कहानी और ही है
जो उसने संभले हुए है ..
जमाने की तो बात ही नकार दे तू
सोच क्या तेरी नजर में स्त्री पुरुष समान है भी ?...
मिल जायेगा हर उस सवाल का जवाब तुझे भी
कर गौर तू भी जरा ये इंसान वो भी है तू भी
तेरी उसूलात पे उसका जीना तय है
और ...
और पूछते है की क्या समानता है भी ..