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Atiendriya Verma

Tragedy Inspirational

4  

Atiendriya Verma

Tragedy Inspirational

सुनो क्या पूछता है

सुनो क्या पूछता है

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सुनो क्या पूछती है  

ये धरती

ये अंबर

ये पेड़ 

ये नदी

ये मिट्टी

ये कुदरत 

इंसान की इंसानियत से 


सुनो आज बतलाता हूं तुम्हें

क्या पूछती है ये धरती 

दिया तुमने मुझे मां का दर्जा

फिर क्यों करते हो मुझे गंदा

दिया जन्म मैंने पक्षियों को  

फिर स्वार्थ हेतु क्यों मार रहे हो मेरी इन कोपलों को 

दी मैंने तुमको ये प्राण वायु

फिर क्यों घोट रहे हो दम मेरा 


सुनो आज बताता हूं तुम्हें 

क्या कहा रहा है आज ये अंबर 

बचा रहा हूँ तुम्हें युवी रेंज से 

तो फिर क्यों कर रहे हो छेद मुझ में

समेटा हूँ अपने अंदर इन

सुंदर मेघों को

तो फिर क्यों चोर रहे हो मुझ पे 

ये प्रदूषण

उड़ने को दी मैंने पक्षियों को जगा

तो फिर क्यों इस्तेमाल करके छोड़ रहे हो दूषित उसे 

क्या लौट पाओगे उन लुप्त हुए पक्षियों

जिनके मधुर स्वर मुझे मंत्रमुग्ध कर देते थे 


सुनो आज बताता हूं तुम्हें 

क्या कह रहा है पेड़

संतुलन प्राण वायु में रखना काम मेरा था

तो फिर क्यों तुम ले रहे हो मेरे प्राण 

कहीं सहारा मुसाफिर का था

कहीं पक्षियों के बच्चों का घर था

मैंने बनते सपने देखे अपनी छाँव मैं

काट के क्षण में मुझे

तोड़ दिए तुमने सपने हजारों 


सुनो आज बताता हूं तुम्हें 

क्या कह रही है ये नदी

पंच तत्व में से एक हूँ

ललन पालन करती मैं कई जीवों का

मनुष्य को भी जीवन देती हूँ

तो फिर क्यों ले रहे हो मेरे जीव के प्राण

विलुप्त हो रहें है आज मेरे जीव

मेरा भी नहीं रहा कोई स्थान है धरती के नीचे 

पिघल रहे है मेरे ग्लेशियर खो रहा मैं चमक अपनी 


सुनो में बताता हूं तुम्हें 

क्या कह रही है आज मिट्टी ये 

आओ तुम्हें अपना महत्व बतलाऊँ

पेड़ को मैं संभालती

पानी को भी मैं संभालती

मुझे पाए का गुंड है

तो फिर क्यों मनुष्य फेंक प्लास्टिक कर रहा खत्म मुझे 


सुनो क्या कहती है

ये कुदरत आओ बताता हूं 

मनुष्य क्या हो गया तुझे

क्यों खो रहा तू इंसानियत अपनी 

क्यों कर रहा दुष्कर्म तू मेरी

बेटियों के साथ में

क्यों बड़ रहा अधर्म की ओर तू

क्यों बड़ा रहा है अपने अहंकार को 

ये ले डूबेगा तुझे..

न भूल तू अपना कर्तव्य

न भूल तू अपने आप को

डगमगाते अपने कदम को अब तू रोक ले 

माया के जाले में और ना उलझ

तोड़ दे इन बेड़ियों को 

वक्त है अभी जगा ले अपनी इंसानियत को

और सुधार ले अपनी भूलो को



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