सरल सा गणित
सरल सा गणित
सरल सा गणित पढ़ा है मैंने,
एक जैसी इकाई ही,
आपस में क्रिया करती है,
गणित को अंकों से निकाल रहा हूँ।
अलग-अलग सीमाओं से परे,
सर्वसमागम से तथ्य बता रहा हूँ,
एक सभ्यता जो बिता दी थी,
अतीत थी, जी ली हमने।
एक में, वर्तमान है, जी रहे हैं
पर क्यूँ जो कल बीत गया,
उसे आज में जोड़ रहे हैं,
कल का आज से मेल पूरा बेमैल है।
मेरा नहीं, गणित यह तो खेल है,
सवाल ही गलत है,
फिर क्यूँ सब हल खोज रहे हैं।
जो कल था वो आज नहीं,
जो आज है ,वो कल होगा नहीं,
साधारण सा समीकरण है,
आओ, समय को बेहतर उपयोग में लाये,
कल से दूर होकर,
आज को कल बनने से पहले,
आज को जी जाएँ।