सरहद के रखवाले
सरहद के रखवाले
सरहद के रखवाले,
देश के लिए जान लुटाते हैं।
हम उसका महत्व,
समझ नहीं पाते हैं।
चैन की नींद सो जाते हैं।।
सोचो जरा, क्या होगा?
उसके परिवार का हाल।
अमन-चैन के लिए,
जिसने, खो दिया अपना लाल।।
धिक्कारती है आत्मा तब,
यह क्या हो गया गजब !!
रोता है मन, सोचता हर दम,
काश! किसी ने हमारी सुरक्षा के लिए,
अपनी जां लुटाई नहीं होती,
हमें चैन की नींद आई नहीं होती।।
परिवार को उसकी यादें,
हर पल बेचैन करेगी।
मां-पत्नी और बहन-बेटी,
अंसुवन नीर भरेगी।।
क्यों हम इतने खुदगर्ज़ हो गये?
हमारे चैन के लिए,
क्यों? मासूम महरूम हो गये।
आओ हम अब अपना कर्तव्य पहचानें,
फिर ना साहस हो किसी में,
हम पर आंख उठाने की।।
मुंहतोड़ जवाब देकर दुश्मन को,
याद करा दें उसको नानी ।
ताकि फिर कभी भी हमारी नींद के लिए,
किसी को शहीद होना ना पड़े।।
किसी भी परिवार को ,
अपना लाल खोना ना पड़े।