सर्द रात
सर्द रात
सर्द रातों की वो ठंडी पवन,
अलाव मे जलती लकड़ियों की तपन।
सिलवटें पड़े सेंकते दो हाथ,
नम सी आँखों में दिखे कुछ खोए सपन।
लडखड़ाती हुई उसकी आवाज,
तजुर्बा अपना बताता वो जाँबाज़।
बयान करता है जीवन सुखन,
काँपता हुआ वो बूढ़ा बदन।।
