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Swati Vats

Fantasy

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तितिक्षु

तितिक्षु

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उन उजड़े नजारों में, 

उन बेरंग दीवारों में

कुदरत जब रंग भरती है

तितिक्षु (तितली) सी उमड़ती है।


समुंदर सी उन आँखों में 

उदासीन सी बातों में

लहरे जब रूख बदलती है

तितिक्षु सी मचलती है।


हवा जब धीर हो जाए

बादल नीर हो जाए 

पुष्पों पर जब पड़ती है

तितिक्षु सी संवरती है।



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