तुलसी में मोहन रहते
तुलसी में मोहन रहते
मन बहते कृष्ण मुरारी,
उनका ये मन मधुबन में हैं, उनकी हैं राधा प्यारी
जीवन समर्पण अर्पण, छोड़ के अब दुनिया दारी
सुबह का सूरज तुझमें, शाम भी ढले श्याम में
जीवन आरंभ तुम्हीं हो, जीवन का अंत भी तुझमें
सुबह में जल अर्पण कर, तुलसी में ध्यान करें मन
प्रेम ही रहता हैं हर पल, श्रीमन के नाम हुआ मन
आता एहसास के जैसे, तन रहता श्वास जैसे
तुलसी में मोहन रहते, वो यहां वास करें जैसे.......

