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Swati Vats

Fantasy

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चित्तचोर सावन

चित्तचोर सावन

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रूत ये सावन की चित्तचोर नज़र आती हैं 

प्रभात में भी रात की वो होड नज़र आती हैं

सावरे से नभ मे चमकती बिजुरिया

घनो की घनघोर मे नव भौर नजर आती है 

रूत ये सावन की चित्तचोर नज़र आती हैं 


हरियाली भी सुकोमल सी किशोरी नज़र आती हैं 

मौसमी सांझ सी चहु ओर नजर आती है

पात पात पर टके मोतियों की तरह वो

बूंद-बूंद श्वेतिमा सी कोर-कोर नजर आती हैं 


रूत ये सावन की चित्तचोर नज़र आती हैं 


विभिन्न विहंगो की विभोर नज़र आती हैं 

अन्तरंग पुष्प-तितिक्षु की गठजोड़ नज़र आती हैं

भीगी-भीगी माटी की सौंधी-सौंधी खुशबुएं

स्वीकृति भी धरा की छोर-छोर नज़र आती है

रूत ये सावन चित्तचोर नज़र आती है।


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