पैसा और सोच
पैसा और सोच
आज पैसा सबकी सोच में,भरा कुछ कदर
कैसे बनेगा सिर्फ़ सोचते हैं ,खुशनुमां उनका सफर |
पैसे के पीछे भागती वो, जिन्दगी निकल गई
जीने की चाह छोडकर, जीना चाहते मगर |
पैसे ने अपने लालच से ,सबको है मोह लिया
मार्ग भी सबने ,अपना -अपना ही जोह लिया |
जरूरत के थे मारे जो,उनकी चीख न सुनी
पैसेवालों से ही सबने ,अपने रिश्तों को टोह लिया |
