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Swati Vats

Inspirational

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Swati Vats

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अंकुर से वृक्ष तक

अंकुर से वृक्ष तक

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अंकुर फूटकर कर रहा 

बखान अपने अस्तित्व का 

जो संशय से संसार को 

देखकर है बढ़ रहा


जीवंत कर रहा प्राण वो, 

उस स्वर्णिम बूंद में ,

जो पड़ी है उसके ही,

एक पात के मूंद में


वो बढ़ेगा और गढे़गा

एक गाथा ज्ञान की

मैं अड़ा हूं मैं खड़ा हूं

चाहे आए तूफान भी

   



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