खिड़कियाँ
खिड़कियाँ
तन्हाईयों की मेरी है वो गवाह ,
खालीपन की मेरी है वो दवा ,
मेरे आशियानें को करती है बयां,
सुनसान सी दीवारो में वो खिड़कियाँ |
दिखाती वो हर शाम को ढ़लता हुआ
और दिखाती भी ,हर सुबह को जलता हुआ |
सिखाती सीख है, गर हम सीख पाएं,
दिखाती लोगो को अपने रास्तो पे चलता हुआ |
