#अपने आप को शब्दो मे पिरोने की एक कोशिश हूँ मै#
स्वीकृति भी धरा की छोर-छोर नज़र आती है रूत ये सावन चित्तचोर नज़र आती है। स्वीकृति भी धरा की छोर-छोर नज़र आती है रूत ये सावन चित्तचोर नज़र आती है।
समुंदर सी उन आँखों में उदासीन सी बातों में समुंदर सी उन आँखों में उदासीन सी बातों में
अस्तित्व उन व्यक्तित्व का, उन कर्तव्यनिष्ठ का अस्तित्व उन व्यक्तित्व का, उन कर्तव्यनिष्ठ का
जीवंत कर रहा प्राण वो, उस स्वर्णिम बूंद में जीवंत कर रहा प्राण वो, उस स्वर्णिम बूंद में
दर्पण हूँ दर्पण हूँ
सबको है मोह लिया सबको है मोह लिया
वो हर शाम को ढ़लता हुआ वो हर शाम को ढ़लता हुआ
मुसाफिर कोई मंजिल अपनी, पहचान गया हो। मुसाफिर कोई मंजिल अपनी, पहचान गया हो।
जीवन अपने ही है हाथ अभी इसको बचाइए। जीवन अपने ही है हाथ अभी इसको बचाइए।
पैगाम-ए-उन्स का वो मुन्तजा बन जाएगा। पैगाम-ए-उन्स का वो मुन्तजा बन जाएगा।