बदनाम
बदनाम
मैं लिखूं तुमसे, तुम गुमनाम कहीं,
ये ज़िंदगी के सफर में, यूं हैं बदनाम कई,
चलता रहा है औरों से मिलना ~ जुलना,
मिल गए तो फिर, तेरी यादें कई,
वर्षों बीत गए हैं, उस आरजू में,
फिर कैसी है मुलाकात नई,
मैं लिखूं तुमसे, तुम गुमनाम कहीं,
ये ज़िंदगी के सफर में, यूं हैं बदनाम कई,
रोकते हैं हर पल आंसुओं को,
पर एक रोज़, एक ने कहा,
बिन आंसू तो कोई मोहब्बत नहीं,
मैं लिखूं तुमसे, तुम गुमनाम कहीं,
ये ज़िंदगी के सफर में, यूं हैं बदनाम कई।

