हम उनके इश्क़ की गिरफ्त में हैं
हम उनके इश्क़ की गिरफ्त में हैं
मन उनके इश्क़ की गिरफ्त में है,
कहीं छोटी शरारत सी हरकत है !
दरिया से भी गहरे ख्यालों में,
लहरों सी ही उठती उल्फत है !
भावों से भरता खाली मन,
यूँ तो मन में बेशक नफरत है !
उठते और बैठते हो तुम दर दर ,
हमें इन्हीं बातों की तो कुल्फत है !
आते जाते हो तमाम तंग राहों में,
मेरी नज़रों से देखो तो अपगत है !
तेरी मेरी जब से यह उलझन है,
हालत खस्ता सी बनी अपहत है !
भय सा छाया है अब दिल में भी,
खो ना जाओ कहीं तुम ये दशहत है !

