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MS Mughal

Classics Fantasy

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MS Mughal

Classics Fantasy

जान ए जानाँ

जान ए जानाँ

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ब अंदाज़ ए मस्त चला, सू ए जान ए जानाँ को

दिल मचल उठा देख कर, कू ए जान ए जानाँ को


इक इक निगाह देखता रहा मू ए जान ए जानाँ को

हर तरफ़ महसूस कर रहा हूं बू ए जान ए जानाँ को

 

बज़्म ए यार सजी है कि कोई चांदनी रात आई है

सितारे खामुश है देख के, रू ए जान ए जानाँ को


महफ़िल से न उठा कि मदमस्त बैठा है हसन 

बड़ी दिलकशी से आया हूं कू ए जान ए जानाँ को


सू ए जान ए जानाँ ( जान ए जानाँ की ओर ) 

कू ए जान ए जानाँ ( मेहबूब की गली ) 


मू ए जान ए जानाँ ( मेहबूब के बाल ) 

रू ए जान ए जानाँ ( मेहबूब का चेहरा ) 


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