पैसा
पैसा
पैसा बहुत कुछ है
पर सब कुछ तो नहीं
इससे खरीद सकते हैं
भौतिक सुख सुविधाएँ
मन की खुशियाँ
खरीद सकते नहीं
पैसा बहुत कुछ है
पर सब कुछ नहीं
मन का कोना
जो हो खाली
पैसा से इसे
हम भर सकते नहीं
पैसा सबको नाच नचाता
सबको माया का
खेल दिखाता
पैसे से बनते हैं रिश्ते
और बिगड़ते भी हैं
इस के चक्कर में
न हीं उलझो तुम
जीवन रिश्ते नाते से है
इतना ही बस समझो तुम
इतना ही बस समझो तुम !
