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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

जय श्री राम जी की भोले भंडारी

जय श्री राम जी की भोले भंडारी

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आज वा मेरी बेवफ़ा तेरे दरबार म आवेगी

तेरे प चढ़ान ख़ातिर फूल पत्ते भी लावेगी


घणी चालबाज स उकी बातां म न आइये

उसते कहिये तगाजा कर अर आगे न ताहिये


मेरे कालजे म उनने घा कर राखै स भोले

वा मन्ने पावण ख़ातिर तेरे मसके लगावेगी


तेरे आगे घने उलटे सीधे किस्से गावेगी

मोरनी बनके रोवेगी, तेरे ऊपर आंसू बहावेगी


पर भोले सुन ले तन्ने कसम से म्हारी यारी की

उस सितमगर त घणी बात ए कोन्या करनी


वा तेरे आगे रोवेगी, माथा पटकेगी, हाँ नहीं भरनी

बस भोले मेरी या हे लाज राख दिये, मेहरबानी


वा ज मरती हो त सचिन कह स मर जावेगी

आज वा मेरी बेवफा....



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