सुबह
सुबह
मुर्गे ने जब बांग लगाई
चिड़िया चीं-चीं करती आई
सूरज ने प्रकाश फैलाया
सुबह का तारा यूं मुस्काया
लोग बाग सब जाग गए हैं
किवाड़ खोल यूं ताक रहे हैं
लगे हुए हैं अपने कामों पर
मची हुई है अफरा-तफरी पर
कोई योगा कोई पूजा करने जा रहा है
कोई जॉगिंग कोई जुंबा करने जा रहा है
कोई किचन को व्यंजन से सजा रहा है
कोई घंटी तो कोई शंख बजा रहा है
सुबह की सुहानी रुत आई है
संग अपने खुशियां लाई है
मुस्कान बिखेरे चारों ओर
कभी न करती हमको बोर
सुगंधित फूलों की बहार है देखो
चली है शीतल बयार है देखो
पत्तों पर ओस चमक रही है
भोर की रुत ख़ामोश नहीं है
हलचल सब तरफ होती है
हाथ में चाय गरम होती है
परांठों से सुबह महक उठी है
मानो पूरी दुनिया चहक उठी है।
