सर्द रात
सर्द रात
दहकती रातों की
चांदनी में
बहकती जवानी के
अरमानों में
चंचल हवाओं की
सरसराहटों में
लरजते सांसों की
कंपकपाहट में
प्रिय की बाँहों
की गिरफ़्त में
रातों की बोझिल
खामोशियों में
पिघलते है जमे,
अरमानों के काफ़िले
सर्द सी ठिठुरती
रातों में !

