सप्तपदी
सप्तपदी
मोहब्बत जवां होने का इंतज़ार है,
सपना बस होने को साकार है।
विवाह पवित्र वेदी, सप्तपदी, मंत्रोच्चार है,
आज मै और तुम एक होने को तैयार हैं।
तुम मेरी मंज़िल, मेरी जान हो,
मेरी अर्धांगिनी, घर की हमारी शान हों।
साथ तुम्हारा ऐ हमदम,
सबसे बड़ी सौगात है।
तुमसे मिलकर जिंदगी मेरी,
फूल परिजात है।
हाथों में तेरा हाथ है,
तू मेरे साथ है।
दिल को फिर न कुछ मेरे,
अब दरकार है।