सफर का समां
सफर का समां
फिर वही रात फिर वही सफर का समां
कहीं ठहर के बार बार गुजरता समां
वो रौशनी से भरे दिन की तरह रात का समां
कहीं गम तो कहीं खुशी की हर बात का समां
किसी की पलकों के दर्पण में बसा चेहरे का समां
कहीं किसी की सपनों में बसा सेहरे का समां
गुजरते लम्हों में पिघलती रात की चाँदनी का समां
किसी की होंठों से गीत की रागिनी का समां
किसी की आँखों में देखा थोड़ी सी नमी का समां
किसी की मदहोशी में खुशबू की जमीं का समां
गुजरती रातों में ठहरती भोर के अंधेरे का समां
फिर गुलाबी गालों पर मुस्कुराती सबेरे का समां
गली के मोड़ से गुजरती किसी की बेबसी का समां
किसी खंडहर में सुलगती बेवफा जिन्दगी का समां
छत की मध्यम सी रौशनी में एक नजर का समां
फिर वही रात फिर वही सफर का समां