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Arpan Kumar

Drama

3.8  

Arpan Kumar

Drama

सफलता का साइलेंस

सफलता का साइलेंस

2 mins
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सफलता का भूत

जब सिर चढ़कर नाचता है

तो व्यक्ति

सबसे पहले उस जगह से उठता है

जहाँ से उठने की उसकी यात्रा शुरू हुई थी

वह अपने मूल को

मखमल में टाट का पैबंद समझने लगता है

और अपने पुराने साथियों को

असफल या खोटा सिक्का मान

उनसे कन्नी काटना आरंभ करता है


है एक ऐसा

मेरा भी दोस्त

नवधनाढ्य

और जिसने अपने विजयोत्सव के

प्रारंभिक नशे में

हमें सबसे पहले विजातीय किया

जो कभी लंगोटिया था हम सबका

अब औपचारिकता भर रह गई है उससे


हम अब भी

अपनी छोटी-मोटी सफलताओं पर

पूरे मुहल्ले में हुड़दंग कर

दिन भर

सो जाते हैं चादर तान

निश्चित हो

आगे की दुश्चिंताओं से


हम तो अब क़रीब नहीं उसके

मगर हमारे ही शहर की

सर्वाधिक संभ्रांत कॉलोनी से आती हवा

ख़बर लाती है उसकी

जब तब

उसके साम्राज्य के टीले से


बड़ी - बड़ी सफलताओं की पार्टी भी

वाइन की मँहगी बोतलों के बीच

कुछ नपे-तुले ढंग से

मनानी पड़ती है उसे

वह चाहकर भी

हमारी मोहल्ला पार्टी का हिस्सा

नहीं बन सकता

उसे यह सब 'रस्टिक' लगता हो शायद

लोग कहते हैं

उसका बड़ा फेस वैल्यू है

उसके छींकने भर से

गिरने लगता है शेयर सूचकांक का ग्राफ

उसे अब अपने इमेज़ की

बड़ी चिंता होने लगी है

क्या जाने यही बात हो

कि अब वह

हमलोगों से मिलने में कतराता है

कुछ अधिक ही

और हम उसकी नज़रों में शायद हों

बेमतलब और निठल्ले

मगर असफलता की

निरंतर तपती धूप के बीच

हम पर जब चिल्लर सफलताओं की

कुछ ठंडी फुहारें गिरती हैं

तो वे हमें अमृत बूँदों से कम नहीं लगतीं

हम अपने कष्टों को

कुछ समय के लिए भूल जाते हैं

काश कि

यह सब हम उससे साझा कर पाते!


वैसे भी चंंद सच्चे पुराने यार

जब साथ होते हैं

तो तकलीफ़ों का दिवस भी

शीतल मलयानिलल से भींगा-भींगा लगता है

हम और कुछ नहीं कर पाते

मगर अपने दुःखों पर हँस कर

उसकी दग्धता को तो कम कर ही लेते हैं


हम अपने उस दोस्त को

कभी-कभार याद कर लेते हैं

हो-हल्लों से भरी अपनी

सस्ती महफ़िलों में

जो अपनी सफलता के साइलेंस में

अरसे से 'कोमा' में है

आह कि

हम उससे मिल पाते

उसके कुछ काम आ पाते

मगर, उसने ख़ुद को

अपने भव्य क़िले में नज़रबंद कर रखा है।



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