संगीत सन्नाटे का
संगीत सन्नाटे का
शून्य से उठ !
शून्य हो जाना !
पूर्ण हो जाना? अपूर्ण हो जाना?
गिनती उल्टी -सीधी, सीधी -उल्टी !
होना कुछ चाहा , फिर कुछ और हो जाना !
शून्य से परिपूर्ण इक रकम हो जाना ।
संगीत सुनना सन्नाटे का ,
फिर खुद ख़ामोश हो जाना ।
सालता नहीं अब मौन तुम्हारा ,
दिल भी चाहता है ख़ामोश होना ।
यादें उतरा जाती हैं तिनको सी कभी कभी ,
पर मैं चाहता हूँ ,डूब जाना ।
तुम खींच लो जलपरी बन गहराई में ,
ओझल हो जाऊँ सभी की नज़रों से ,
बस तुम मेरे हो जाना ।
शून्य से उठ फिर शून्य हो जाना ,
तेरा, मेरा यूँ परिपूर्ण हो जाना ।

