STORYMIRROR

Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

4  

Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

संगीत सन्नाटे का

संगीत सन्नाटे का

1 min
490

शून्य से उठ !

शून्य हो जाना !

पूर्ण हो जाना? अपूर्ण हो जाना?

गिनती उल्टी -सीधी, सीधी -उल्टी !

होना कुछ चाहा , फिर कुछ और हो जाना !

शून्य से परिपूर्ण इक रकम हो जाना ।

संगीत सुनना सन्नाटे का ,

फिर खुद ख़ामोश हो जाना ।

सालता नहीं अब मौन तुम्हारा , 

दिल भी चाहता है ख़ामोश होना ।

यादें उतरा जाती हैं तिनको सी कभी कभी ,

 पर मैं चाहता हूँ ,डूब जाना ।

तुम खींच लो जलपरी बन गहराई में ,

ओझल हो जाऊँ सभी की नज़रों से ,

बस तुम मेरे हो जाना ।

शून्य से उठ फिर शून्य हो जाना ,

तेरा, मेरा यूँ परिपूर्ण हो जाना ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance