स्नेह किताब
स्नेह किताब
तुम तो एक स्नेह किताब लिखना
मोहब्बत से सजाकर मेरा श्रृंगार लिखना
चलते है जिन स्वपनों की दुनिया में हम
इन सभी रंगों में पिरोए स्वप्न को संजोए
सरोवर के किनारे की मुलाकात लिखना
हौले से हवाओं के चलने की बात लिखना
मंद स्वर से गूंजती लय तुम्हारे मुख से निकले
गीत मिलन का प्रेम हमारे नाम लिखना
तुम तो एक स्नेह किताब लिखना
मोहब्बत से सजा कर मेरा श्रृंगार लिखना।।
केशों से क्रीड़ा रचाते हो जो
इस अनुभूति को भी एक बार लिखना
आंचलों से लिपटे हुए हस्त
नैनों से छलकती मोहब्बत
एकांश कुछ गुजरे क्षण की सौगात लिखना
तुम तो एक स्नेह किताब लिखना
मोहब्बत से सजाकर मेरा शृंगार लिखना।।