संभाल रही हूं...
संभाल रही हूं...
बहुत बहा लिए मैंने इन आँखों से आँसू
अब मैं हँसने की आदत डाल रही हूँ।
मुझे पता है ये इतना आसान तो नहीं
लेकिन फिर भी खुद को संभाल रही हूँ।
टूट के बिखर गयी तेरी तस्वीर मेरे दिल में
एक एक टुकड़ा अब निकाल रही हूँ।
ग़म के गहरायी में मैं डूबी रही सदियों
अब ज़िस्म को लहू में उबाल रही हूँ।

