सम्बन्धों का खेल
सम्बन्धों का खेल
कैसे कैसे लोग हैं, कैसी ठेलमपेल ।
निर्दयता से खेलते, सम्बन्धों का खेल ।।
मोह-पास में खींचकर, सम्बन्धों को पास ।
काँटे लिए बबूल के, लिपटा है विश्वास ।।
कैसे कैसे लोग हैं, कैसी ठेलमपेल ।
निर्दयता से खेलते, सम्बन्धों का खेल ।।
मोह-पास में खींचकर, सम्बन्धों को पास ।
काँटे लिए बबूल के, लिपटा है विश्वास ।।