सखी री...
सखी री...
आज न खोलूँगी हृदय के द्वार , करूँगी नंदलाला से तकरार,
प्रेम-गली से जब जायेंगे वापस , अठखेलियाँ करूँगी बारम्बार . सखी री ...
गीत विरह के गाऊँगी जी भर के ,याद करूँगी कान्हा को जी भर के ,
अँखियाँ जो मेह सी बरसन लागी अनसुनी करूँगी दिल की पुकार . सखी री ...
चैन न आये,मुरलिया की धुन सुन,अँखियाँ थक गयीं तारे गिन-गिन,
साँकल दिल की किवड़िया लागी ,खोलूँगी अब, जब करेंगे मनुहार .
प्रेम के रंग में रंग दूँगी कन्हैया को,आज आया रंगोत्सव रास-त्यौहार .सखी री ...