शोर्ट -कट जमाना
शोर्ट -कट जमाना
पत्र लिखने की परम्परा
तो ख़त्म हो गयी,
हम लाखों मित्रों से जुड़ने लगे
पर ह्रदय में टीस
बराबर उभरती गयी !
हम कभी मायूस नहीं होते थे
पत्रों का सिलसिला
चलता रहता था !
अपने उद्गारों अपनी भावना
अपने लोगों
के सामने रखते थे !
पर अब तो हम किसी के
टाइम लाइन में
झाँक भी नहीं सकते हैं !
लोग सोचते हैं
ये हमारे अधिकारों का
दुरुपयोग मानों करते हैं !
बहुत से मित्रों ने तो
अपने टाइम लाइन को
ही मिटा रखा है !
अपने उद्गारों
और आत्मीयता
को इस यन्त्र में
छुपा रखा है !
हम भी इतने सयाने
बन रहे हैं
अपनी शुभ कामनाओं, बधाइयों
और आशीष
सबके लिए एक ही लाइन
में लिख रहे हैं !
