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Gyaneshwari Vyas

Fantasy

4  

Gyaneshwari Vyas

Fantasy

शीर्षक: शून्यता में जीवंतता

शीर्षक: शून्यता में जीवंतता

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जीवन मंत्र एक पाया मैंने, सुख का यही खजाना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।


एक रोज़ की बात बताऊँ, बैठी थी खाली झरोखे।

तभी चौंधिया गईं थीं आँखें, सूरज था मुझे ताँके।

मिली वहीं से विद्या कैसे, एकल भी चमकते रहना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।


एक बार फिर हुई उदास थी, बैठी थी गुमसुम हो के।

तभी सिरहाने चाँद था आया, सबकी नज़र बचा के।

मिली वहीं से विद्या कैसे, अँधियारे में उजियारा करना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।


एक था किस्सा सबसे रोचक, जब माँ ने डपटा था जमके।

तभी पिता ने था समझाया, बिटिया स्वच्छंद विचार रख मन के।

मिली वहीं से विद्या कैसे, दुःख में भी मुस्कुराते रहना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।


एक बात अब कहूँ सभी से, शून्य में रहना जाके।

तभी जाँच पाओगे खुद को, सूनेपन में फूल खिला के।

मिले वहीं से विद्या कैसे, ज्ञान दीप है जलाना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।


एक ही स्वर में यही कहूँगी, जिक्र-ऐ-हाल दिखला के।

तभी खरे सोने की भांति, निखरोगे इस जग के आगे।

मिले वहीं से विद्या कैसे, स्मृति में चिन्हित रखना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।


जीवन मंत्र एक पाया मैंने, सुख का यही खजाना।

जीना हो यदि इस लय में तो, मिलने मुझसे आ जाना।।



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