ऊँची-नीची डगर
ऊँची-नीची डगर
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।
चल ऐ मुसाफिर अपनी डगर,
ये एक बहुत है मुश्किल सफर,
अब तो है राह बदलना है... ना रुकना है।
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।।
क्यों निकल पड़े अनजान नगर,
है ये काँटों से भरा मंज़र,
अब तो है कार्य दिखलाना है... ना रुकना है।
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।।
घनघोर घटा टूटा छप्पर,
देता ना एक मौका तिस पर,
अब तो है वक्त बदलना है... ना रुकना है।
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।।
ढ़ो रहे अरमानों की गागर,
ना आस मिली ना मिला है सबर,
अब तो है ज़िंदगी निभाना है... ना रुकना है।
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।।
सूना ख्वाबों का महल अक्सर,
कैसे बनाएँ बागबां सिकन्दर,
अब तो है दामन भरना है... ना रुकना है।
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।।
शतरंज सी चाल चली मुझ पर,
ना बचा राजा, प्यादा ना वज़ीर,
अब तो है बाज़ी जितवाना है... ना रुकना है।
जीवन का पहिया चलता है।
ना रुकता है, ना थमता है।।
