शेर-ओ-शायरी
शेर-ओ-शायरी
उसके दिए तोहफे खुद-ब-खुद टूट गए,
उसके खतो से उसकी खुशबू भी चली गई,
ये महज़ एक इत्तफाक है या खुदा का कोई फैसला समझूँ..
तुम्हारे दिए इतने दर्द नहीं सम्भाल पायेगा ये दिल,
यूँ करो कि तुम किश्तें बांध लो..
बहुत जरूरी हो जाता है रिश्तों में दूरी रखना,
बहुत दुख दे जाते हैं वो लोग जो ज़्यादा नज़दीक आ जाते हैं..
हमने अपने दर्द-ओ-ग़म मुस्कराते हुए क्या बयां किए,
कि यूँ किया उन्होंने कि वो भी मुस्कुरा दिए..
बात उसे छीन लेने कि होती तो खुदा से भी छीन लेता,
बात उसे पाने कि थी तो ये सब करना गवारा ना किया..
जाना तेरा आना दिल लगाना और चले जाना,
सोचूँ तो हर बात परेशान करती है,
और सोचूँ अगर उस जुदाई कि रात के बारे में
तो मुझे ये रात परेशान करती है..

