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Sourabh Nema

Drama

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Sourabh Nema

Drama

सब हैं पराये

सब हैं पराये

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अजीब-सी बेचैनी,

अजीब-सा डर है,

सब है पराये,

कहाँ मेरा घर है ?


जैसे चल रहा है,

वही चलने वाला है,

यहाँ अपनों ने ही,

आग में घी डाला है।


सब को मजा आता है,

दूसरों के रोने से,

किसी का कुछ नहीं जाता,

किसी के कुछ खोने से।


ये भी सच है की,

तुम हो तो हम हैं,

फिर भी ना जाने,

किस बात का ग़म है।


अब सोच तो लिया है,

ज़िन्दगी अकेले ही जीनी है,

ये कड़वी चाय ज़िन्दगी की,

हमको ही पीनी है।


नहीं देगा कोई साथ,

ना ही कुछ होने वाला है,

चेहरे भले ही हों गोरे,

पर दिल सबका काला है।


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