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Sourabh Nema

Others

5.0  

Sourabh Nema

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वाह! मुंबई की क्या बात !

वाह! मुंबई की क्या बात !

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रोज़ सुबह से रात,

और कल से फिर वही बात 


हर चेहरे पे ख़ुशी,

और किस्सों में परेशानियों की बात


वही रोज़ लोकल में धक्के मुक्के ,

और ख्वाहिश में विंडो का साथ 


कितना करो फिर भी कम है ,

हर घर को लगते दो - दो हाथ 


मायानगरी के हम हीरो

लगता सपनो की सौगात


आँख खुली फिर समझा हमको 

अपनी क्या औकात


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