वाह! मुंबई की क्या बात !
वाह! मुंबई की क्या बात !
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रोज़ सुबह से रात,
और कल से फिर वही बात
हर चेहरे पे ख़ुशी,
और किस्सों में परेशानियों की बात
वही रोज़ लोकल में धक्के मुक्के ,
और ख्वाहिश में विंडो का साथ
कितना करो फिर भी कम है ,
हर घर को लगते दो - दो हाथ
मायानगरी के हम हीरो
लगता सपनो की सौगात
आँख खुली फिर समझा हमको
अपनी क्या औकात