साथ था ख़ुदा
साथ था ख़ुदा
जब आ गए थे ज़्यादा ग़म, छोड़ दी थी मैंने बंदगी-दुआ,
मन कहता है ख़ुदा पे ना जा, जो तक़दीर में था वो हुआ।
जब कोई नहीं था साथ तेरे, तब साथ था सिर्फ वो ख़ुदा,
गर उस दिन वो साथ न खड़ा होता, आज न होती ज़िंदा।
तेरी ज़िंदगी में लिखा था हादसा, मत दे किसी को बद्दुआ,
जब तूने किया था सजदा, सिर को तेरे ख़ुदा ने था छुआ।
भरोसा रख 'ज़ोया' खाली न रहेगा दुआ में जो हाथ है उठा,
मत रहना तू मायूस, सब्र की तौफ़ीक़ दे रहा है तुझे अल्लाह।