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रोटी का खेला

रोटी का खेला

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कोई घी लगा खाता है

तो कोई पानी संग

स्वाद बनाता है।


किसी का खा पेट नहीं भरता

कोई आधी में ही खुश हो जाता है।

ये रोटी का खेला है साहिब।


किसी को थाल में परोसी जाती है

कोई कचरे के ढेर से

उठा खा तृप्त हो जाता है।

ये रोटी का खेला है साहिब।


कोई दौड़ता है बड़ी तोंद

घटाने के लिए..

कोई दौड़े दो निवाले घर

लाने के लिए..


ये रोटी का खेला है साहिब।


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