रजमतिया की गाय
रजमतिया की गाय
मुखिया जी की फसल चर गई
रजमतिया की गाय।
हाय राम! अब क्या होगा,वह
सोच सोच हलकान
काँप उठी फिर डर के मारे
सूख गये ज्यों प्रान
बैठी कोसे किस्मत अपनी
लगी किसी की हाय।
फिर सुकई के मुंह से होकर
फैल गई यह बात
मुखिया जी को खबर मिली यह
होते होते रात
सुनकर बकी उन्होंने गाली
पीते पीते चाय।
सुबह हुई पंचायत बैठी
शुरू हो गया खेल
डाँड़ भरे वह नष्ट फसल की
या फिर जाये जेल
या तो घर का गोबर काढ़े
सब पंचन की राय।