रिश्तों में प्यास
रिश्तों में प्यास
रिश्तों में न रही पहले जैसी प्यास है
हर आदमी हो गया पैसों का दास है
सब रिश्ते में लाभ-हानि की सोचते है,
हर रिश्ते में घुसा स्वार्थ कीड़ा ख़ास है
हर रिश्ता हो गया आजकल बकवास है
सब रिश्तों में हो गई आजकल ख़राश है
रिश्तों में न रही पहले जैसी प्यास है
हर आदमी हो गया पैसों का दास है
रिश्ते तो छोड़ो, मानवता का हुआ ह्यस है
हर मनु उड़ाता एक दूसरे का उपहास है
जिन दोस्तों को मानते थे हम उनचास है
वो ही हो गये अब आजकल बदमाश है
रिश्तों में न रही पहले जैसी प्यास है
हर आदमी हो गया पैसों का दास है
जिनकी बोली में गुड़ से ज्यादा मिठास है
वो जिंदा आदमी को मानते एक लाश है
रहना तो तुझे ऐसे लोगों के ही पास है
रख वहां तू मौन-व्रत का सदा उपवास है
रिश्तों में न रही पहले जैसी प्यास है
हर आदमी हो गया पैसों का दास है
कम बोलने से ही साखी इस दुनिया में,
अच्छे-अच्छे भूतों की उखड़ती सांस है
एक रिश्ते से ही रख तू साखी आस है
वो बालाजी देंगे तुझे सच्चा प्रकाश है
उनके बिना क्या ये, क्या वो दुनिया,
हर जगह ही होगा तेरा विनाश है
उनसे बनाकर रिश्ता सजा ले दुनिया,
वो करेंगे पूरी दुनिया में तुझे पचास है
सब रिश्तों में पढ़ तू समता का पाठ,
वही शख्स पहुंचता जिंदा ही कैलाश है
तब जगेगी लोगों में रिश्तों की प्यास है
जब स्वार्थ छोड़ आपस में थामेंगे हाथ है
