अब शायद लगता नहीं
अब शायद लगता नहीं
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अब शायद लगता नहीं, सुधरेंगें हालात।
रोग नासूर बन गया, मुश्किल में है रात।।
अब शायद लगता नहीं, फिर होगी वह बात।
बीता हुआ दिवस नहीं,आते हैं ओ मात।।
अब शायद लगता नहीं, उनसे हो फिर बात।
मेरे आंखों में वह रहे,तारा बन दिन रात।।
अब शायद लगता नहीं,भाग्य सबल हो अस्त।
खुशियां ही खुशियां मुझे,बाधाएं सब पस्त।।
अब शायद लगता नहीं, दुख के दिन हो साथ।
क्योंकि रहूं मैं जोश में,अपने साथी नाथ।।