STORYMIRROR

Sandip Kumar Singh

Tragedy

4  

Sandip Kumar Singh

Tragedy

अब शायद लगता नहीं

अब शायद लगता नहीं

1 min
360

अब शायद लगता नहीं, सुधरेंगें हालात।

रोग नासूर बन गया, मुश्किल में है रात।।


अब शायद लगता नहीं, फिर होगी वह बात।

बीता हुआ दिवस नहीं,आते हैं ओ मात।।


अब शायद लगता नहीं, उनसे हो फिर बात।

मेरे आंखों में वह रहे,तारा बन दिन रात।।


अब शायद लगता नहीं,भाग्य सबल हो अस्त।

खुशियां ही खुशियां मुझे,बाधाएं सब पस्त।।


अब शायद लगता नहीं, दुख के दिन हो साथ।

क्योंकि रहूं मैं जोश में,अपने साथी नाथ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy