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satyanarayan Dogiwal

Romance Tragedy

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satyanarayan Dogiwal

Romance Tragedy

काश

काश

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"तुम्हें कितनी पंक्तीयाँ लिखीं,

पर मैंने तुम्हें भेज नहीं पाया।

मेरे दिल के भावों को,

तुमसे कह नहीं पाया।


मैंने सोचा तुम हंसोगी,

लेकिन मैं झेल नहीं पाऊंगा।

तुम किसी से कह दोगी,

लेकिन मैं सह नहीं पाऊंगा।


प्रियतम, मेरे भावों की यह पाती,

जब भी तुम पाओगी,

तो तुम हमें याद करोगी,

लेकिन कुछ कह नहीं पाओगी।


हम तुमसे दूर होंगे,

तब तुम हमें नहीं पाओगी,

कोई तुम्हारा अपना था,

यह तुम तब ही जान पाओगी।"


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