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SUNIL JI GARG

Tragedy Inspirational Others

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SUNIL JI GARG

Tragedy Inspirational Others

सबसे बड़ा त्यौहार

सबसे बड़ा त्यौहार

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वही होता था हमारे लिए त्यौहार 

पिता घर आने वाले, ये मिलता हाल 

दीवाली की तरह जलते थे दिए 

होली के जैसे लाल होते माँ के गाल


कुछ न कुछ सबके लिए पक्का ही 

तोहफा तो आता ही था हमेशा 

बाल मन था मेरा कभी समझ न आया 

क्या करते थे वो, क्या था उनका पेशा 


दादी पूरे मोहल्ले में भिजवाया करतीं 

लड्डूओं से भरी एक स्टील की थाली 

जिसमें कभी कभी लौट कर आती थी 

काजू की बर्फी वो चार कोनों वाली 


फिर एक दिन वो बुरी खबर भी आई 

पिता की बस जाकर थी ट्रेन से टकराई 

दुर्घटना में चार मरे, दस पहुंचे अस्पताल 

डॉक्टर ने पिता की हालत गंभीर बताई 


परिवार पर विपदा पड़ी बहुत ये भारी

माँ रोज़ जाने लगीं बिना नागा अस्पताल 

पानी की तरह बहने लगा इलाज पर पैसा 

त्यौहार कोई न मना हमारे यहाँ पूरे साल 


पर आज एक साल बाद दिन फिर बदले हैं 

बिना कोई गिफ्ट लिए पापा आयेंगे घर 

जीवन का सबसे बड़ा त्यौहार आज मनेगा 

जब वो लौटेंगे, लिपट कर रोऊँगा जी भर 



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