हम मजदूर हैं..!
हम मजदूर हैं..!
अरे साहब...!
महंगाई
क्या सिर्फ
आपके लिए है...?
हम भी तो इंसान हैं,
कोई वस्तु नहीं...।
जब महंगाई की मार
हमको पड़ती है ना...
तब हमारे घर के चूल्हे
भूख हड़ताल कर देते हैं..!
बेशक...
हम मजदूर हैं
कम पढ़े - लिखे
पर...
तुम भी तो मजदूर ही हो..!
हमारा खून निकलता है
पसीना बनकर
जब हम तपाते हैं ख़ुद को
चिलचिलाती धूप में
और तुम...
ए. सी. में
बैठकर कलम घिसते हो..!
तुम बाबू
और हम...
हम..
कम पढ़े - लिखे
अनपढ़ गवार
मजदूर...।
हाँ साहब...
मजदूर हैं हम
पर ...
अपने बच्चों को
मेहनत और ईमानदारी का
पाठ पढ़ाते हैं...।
धूप हो/ या कि बरसात
तुम एक कदम ना चल सको
पर हम...
हम ...
मीलों का सफ़र
तुमको तय कराते हैं,
क्योंकि...
साहब हम मजदूर हैं!!!