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Swapna Sadhankar

Tragedy Inspirational

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Swapna Sadhankar

Tragedy Inspirational

मोड़

मोड़

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छोड़कर जिस राह को

आगे बढ़ रहें हैं

ये मोड़ क्योँ उस पर

लौटने चला हैं...

दफनाया था सिसकियों को

जद्दोजहद से जहाँ पर

फिर क्योँ यादों को वहाँ

खुरेदने चला हैं...


हँसी के मायने

सीख ही रहें हैं

रो के दिल्लगी धो देना

सीख ही रहें हैं...

तनहाई से रिश्ता

संवरने से पहले

ये वक़्त क्योँ इम्तिहान

लेने चला हैं...


पैरों में ताक़त

जो कम पड़ती हैं

बेबसी से बैसाखी को

अपनाना ही पड़ता हैं...

सहारे को हमसफ़र

बना के चल पड़े तो

ये कैसी भारी क़ीमत

चुकानी पड़ी हैं...


मासूमियत को ओढ़कर

ख़ूबसूरत बनना चाहते हैं

सुनहरी नींद को फिर से

अपना दोस्त बनाना चाहते हैं...

ख़ुशी को सजाने का

मुकम्मल भरोसा जुटा लूँ

ये मोड़ क्योँ गुमराह

करने पे तुला हैं.......


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