STORYMIRROR

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Romance Tragedy

4  

Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract Romance Tragedy

जो मैं कर न सका

जो मैं कर न सका

1 min
315

नहीं सो पाया

मैं उस रात

जिस रात

तुम्हारा कॉल

आया था

और तुमने

एक शब्द

बोला था


आज के बाद मै

दुबारा नहीं

मिल पाऊंगी

अलविदा

इतना सुनते हीं

मेरे पैरों तले की

जमीन हीं खिसक

गई थी और मैं

यादों में खो गया था


तुम्हारे और

अपने प्रेम के

अतीत में

चला गया था

यही अतीत

अब मेरे जीने का

सहारा है


हम ये जानते है

मुझसे अच्छा

कोई मिल गया होगा

तुम्हारा साथ वो

अच्छे से निभाएगा

वो तुम्हें सपनो के

शहर में घुमाएंगा


यूं लेकर चल पड़ेगा

तुम्हारे खुशी के खातिर

तुम जहां कहोंगी वहां पर

मैं जहां घुमा ना सका

तुम्हें सितारों के जहां में

लेकर जाएगा


जो मैं न कर सका

वो करेगा वो

तुम्हें बहुत दूर

दूर बहुत दूर ले जाएगा

जहां तुम्हें

असीम खुशी मिल सके।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract